- आज रात तक लौट सकते हैं पायलट और बागी
- आलाकमान के आश्वासन पर बनी बात !
- बागियों पर कार्रवाई नहीं करेगी गहलोत सरकार
फोकस भारत। कुछ ही पलों में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच चली आंतरिक कलह का पटाक्षेप हो सकता है। बताया जा रहा है कि पायलट और आलाकमान के बीच वार्ता में मध्यस्थ की भूमिका भंवर जितेंद्र सिंह ने निभाई थी। ये भी कहा जा रहा है कि अब अहमद पटेल अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच आई दरार को भरने का काम करेंगे। सूत्रों के हवाले से खबर ये भी कि प्रियंका गांधी के दबाव देने के बाद पायलट अपने गुट के साथ राहुल गांधी से बात करने करने के लिए तैयार हुए।
सीएम आवास पर अहम बैठक
फिलहाल सीएम आवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक चल रही है। इसमें सीएम अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा, चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और कुछ अन्य विधायक मौजूद हैं। ये कहा जा रहा है कि आज रात तक सचिन पायलट और बागी खेमा जयपुर लौट आएगा और पार्टी में उनकी सकुशल वापसी होगी। उन पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी। बागी मंत्रियों को भी उनके पदों पर बहाल किया जाएगा और सचिन पायलट वापस डिप्टी सीएम और पीसीसी चीफ का पद संभालेंगे। ऐसे में डोटासरा कुछ देर में इस्तीफा दे सकते हैं।
आलाकमान ने सुलझावा मुद्दा
आलाकमान के दखल के बाद यह मुद्दा सुलझता दिखाई दे रहा है, हालांकि सचिन पालयट ने कुछ ऐसी मांगें रखी थी जिनपर आलाकमान को एतराज था। फिलहाल के लिए आलाकमान ने सचिन को आश्वासन देकर पार्टी में लौटने, दोनों पद संभालने, बर्खास्त मंत्रियों को वापस उनके पद और विभाग लौटाना और किसी भी विधायक पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करने की बात कही है। कल हुई विधायक दल की बैठक में हालांकि इस पर शांति धारीवाल ने नाराजगी जताई थी। लेकिन ये भी तय हुआ था कि आलाकमान जो चाहेगा वो होगा। इस पूरे प्रकरण में भाजपा के हाथ कुछ नहीं लगा है और उसकी फूट की चर्चाएं होने लगी हैं। इस मामले में कहीं न कहीं बीजेपी सचिन पायलट को अपने पाले में लाने में भी नाकाम रही।
कांग्रेस पर भड़के सतीश पूनिया, मांगा सीएम से इस्तीफा
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि हम तो पहले ही कह रहे थे कि झगड़ा कांग्रेस का है, लेकिन इसकी तोहमत भाजपा पर लगाई जा रही थी। उन्होने ट्वीट कर कहा कि राजस्थान की जनता 31 दिन तक कांग्रेस की रामलीला देखती रही। भाई राहुल गांधी और बहन प्रियंका बड़ी देर से जागे। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तंज कसते हुए कहा कि बेचारे अशोक गहलोत जी खूब भागे, लेकिन राजस्थान के मजदूर, जवान और किसान अभागे हैं।
सतीश पूनिया ने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए ये भी लिखा कि चलो झगड़ा निपट गया हो तो जनता से माफ़ी मांगो, कुछ काम करो फटाफट, वादे के मुताबिक किसानों का कर्जा माफ़ करो, बेरोजगारों की लंबित मांगों को पूरा करो, पानी-बिजली और स्कूल फीस माफ कराओ, अपराधों को रोको, 31 दिन के भाषण के साथ-साथ खर्चे का हिसाब दो, पहले इतना करो आगे का होमवर्क फिर बताऊंगा
सतीश पूनिया यहीं नहीं रूके। सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर एक साल पूरा हो गया है, इसे लेकर भी सतीश पूनिया ने ट्वीट किया, लिखा कि अगर आज रात 12 बजे तक नया राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित नहीं होता है और चुनाव आयोग ने सख्ती से संज्ञान लिया तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का चुनाव चिन्ह निरस्त हो सकता है क्या। साथ ही उन्होंने लिखा- बेचारे कांग्रेस वाले, कहीं अशोक गहलोत रो रहे हैं, कहीं राहुल गांधी वाले सो रहे हैं।
बहरहाल, सतीश पूनिया ने 31 दिन तक चले कांग्रेस के अंदरूनी कलह और इस बहाने बीजेपी पर विधायक खरीद-फरोख्त का झूठा आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगा है। फिलहाल, ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा और कांग्रेस वापस एकता के सूत्र में बंधती नजर आ रही है।
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रिपोर्ट- आशीष मिश्रा