क्या कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में बदलने वाला है सीएम का चेहरा ?

फोकस भारत। राजस्थान में कांग्रेस की अंदरूनी कलह पार्टी आलाकमान के लिए खासा सिरदर्द साबित हो रही है। इधर, पायलट खेमे की ओर से न तो पार्टी से इस्तीफा दिया गया, न भाजपा में जाने के संकेत दिए गए और न नई पार्टी बनाने का जोखिम उठाया गया। पायलट खेमे के विधायकों की ओर से लगातार बयान आ रहे हैं कि वे कांग्रेस के खिलाफ नहीं हैं, वे सिर्फ राजस्थान में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलना चाहते हैं। हालांकि अशोक गहलोत कह चुके हैं कि कांग्रेस आलाकमान अगर बागियों को माफ कर देता है तो मैं उन्हें गले लगाकर अपना लूंगा। लेकिन बात इतनी ही होती तो भी बात क्या थी, यहां तो बागी विधायक सीएम का चेहरा ही बदल देना चाहते हैं। बागियों की ओर से उठी इस मांग ने आलाकमान को भी सोचने पर मजबूर कर दिया होगा, बशर्ते वहां कोई सोचने वाला होगा तो।

राजद्रोह की धारा मामले में बैकफुट पर एसओजी

सचिन पायलट खेमे की एक जीत तो कोर्ट के भीतर ही हो गई। एसओजी को अब उन पर से राजद्रोह की धारा को हटाना पड़ गया है। सवाल अब एसओजी पर भी उठ रहे हैं कि वह मुख्यमंत्री का टूल बन गई और उनके इशारे पर जल्दबाजी में नाराज विधायकों पर राजद्रोह तक की धाराएं लगा बैठी। तीन मामलों में विधायकों पर खरीद-फरोख्त के इल्जाम लगाते हुए सरकार गिराने की साजिश मामले में राजद्रोह की धाराएं लगाई गई थीं। अब इसे भ्रष्टाचार के मामले में कन्वर्ट करके एसीबी के हवाले कर दिया गया है। एसओजी पर सवाल ये ही है कि लीगल राय लिये बिना उसने इतना बड़ा कदम किसके इशारे पर उठा लिया था?

पायलट खेमे को सीएम के तौर पर नहीं चाहिए गहलोत का चेहरा

पायलट गुट रह रह कर बयानाबाजी कर रहा है। अब उनकी तरफ से लगातार यह बात कही जा रही है कि वे कांग्रेस की मुखालफत नहीं कर रहे हैं। वे मुख्यमंत्री गहलोत के कारण परेशान हैं और उनके नेतृत्व में काम नहीं कर सकते। ये भी कहा गया है कि चाहे पायलट को मुख्यमंत्री न बनाया जाए, लेकिन अशोक गहलोत को वे स्वीकार नहीं कर सकते, वे इस बात पर भी राजी हैं कि किसी तीसरे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना दिया जाए। गेंद अब कांग्रेस आलाकमान के पाले में है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और गांधी परिवार ने इस संकट को हल करने में जरा भी दिलचस्पी दिखाई होती तो यह मामला इतना नहीं उलझता।

किसने क्या कहा ?

गुडामलानी से विधायक हेमाराम ने कहा कि

सचिन पायलट को आपराधिक मामले का नोटिस भेज दिया गया, उन पर राजद्रोह की धाराएं लगाकर नोटिस भेजा गया, हम ये बर्दाश्त नहीं कर पाए, डेढ़ साल से लगातार सचिन पायलट का अपमान हो रहा था, ये लडाई इसी का परिणाम है।

चाकसू से विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने कहा कि

चाहे नियुक्तियों की बात हो चाहे आधिकारिक कार्यक्रमों की और चाहे नौकरशाहों के तबादलों और पोस्टिंग की बात हो, सचिन पायलट के समर्थक माने जाने वाले अफसरों को टारगेट बनाया गया, इसी अपमान के खिलाफ हम ये लड़ाई लड़ रहे हैं।

वहीं विराटनगर से विधायक इंद्राज गुर्जर ने हालांकि सचिन पायलट को ही मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग रख दी, उन्होंने कहा कि सिर्फ इसी रास्ते से राजस्थान में पार्टी को बचाया जा सकता है।

कांग्रेस आलाकमान पसोपेश में ?

इस पूरे प्रकरण में अशोक गहलोत चूंकी कांग्रेस आलाकमान पर भारी पड़े हैं। उन्होंने इस मामले को पूरी तरह फ्री हैंड होकर डील किया है और किसी भी तरह कांग्रेस आलाकमान, गांधी परिवार या कांग्रेस पार्टी की नहीं चलने दी। इससे आलाकमान में यह संकेत जाता है कि गहलोत कांग्रेस पर हावी होते जा रहे हैं। ऐसे में उमा भारती जैसे नेता यह बयान देकर कि गांधी परिवार को धकिया कर अशोक गहलोत को कांग्रेस पर कब्जा कर लेना चाहिए, आलाकमान के मन में चिंता पैदा करता है। ऐसे में शक्ति संतुलन का इस्तेमाल किया जाना संभव भी लगता है। हो सकता है कि कांग्रेस आलाकमान सीएम का चेहरा बदलने के लिए तैयार हो जाए। इस तरह वह पार्टी को राजस्थान में दो फाड़ होने से भी बचा पाएगी और अशोक गहलोत के पंख कतरने में भी कामयाब रहेगी।

रिपोर्ट- आशीष मिश्रा