रेत के दरिया से ‘रहस्यमयी’ लपटें !

  • जैसलमेर में अनोखी लपटें
  • ऐसी लपटें जो बारिश में भी नहीं बुझीं

फोकस भारत। रेत के दरिया में आग की पताका देखी है कभी? हैरान हो गए ना! मामला ऐसा ही है। न सूखी लकड़ी, न कोयला, न गैस, न केरोसीन और न पेट्रोल। लेकिन फिर भी रेत के गड्ढे से आग की लपटें निकल रही हैं। ये रहस्यमयी आग लगी है जैसलमेर से 70 किलोमीटर दूर बॉर्डर के पास बंजारों की एक ढाणी में। ढाणी रामगढ़ कस्बे से तकरीबन पांच किलोमीटर की दूरी पर लोंगेवाला रोड पर है। जमीन से निकल रही आग की लपटों से लोगों में दहशत भी है, तो साथ ही लोगों कौतुहल की वजह से इसे दूर-दराज के इलाकों से आने भी लगे हैं। बातें जब विज्ञान से परे लगती हैं तो डर या आस्था का सबब बन जाती हैं। धोरों की धरती पर इन दिनों यही हो रहा है।

(जैसलमेर में बंजारों की ढाणी में लगी आग)

इलाके में तफरी करने वाले रोजनदारी के मुसाफिर कहते हैं कि दिन में ये लपटें दिखाई नहीं लेतीं, लेकिन रात के घुप अंधेरे में लौ दूर से चमकती है। यहीं आस-पास खेती किसानी करने वाले लोगों का कहना है कि आग लम्बे समय से लगी हुई है, न घटती है न बढ़ती है, सोचा बारिश होती तो बुझ जाएगी, लेकिन बरसात का भी इन लपटों पर कोई असर नहीं हुआ।

जो लोग आस्था या डर से जोड़कर इस घटना को देखते हैं उनका तर्क है कि कुछ वक्त पहले यहां तेल-गैस की खोज चली थी, जमीन में पाइप डाले गए थे। लेकिन खोज फेल साबित हुई। कुछ नहीं मिला। तो कंपनी वाले चले गए। चोरों की निगाह उन पाइपों पर थी जो खोज के लिए जमीन में डाले गए थे। मौका पड़ने पर चोर पाइप को उखाड़ ले गए। उसी के बाद से यहां आग की लपटें उठ रही हैं।

इस मामले में स्थानीय प्रशासन ने सीमावर्ती तनोट से फायर टैंडर बुलाया है, पुलिस और तेल कंपनियों के अफसर मौके पर पहुंचे हैं और आग पर काबू पाने की कोशिशें की जा रही हैं। जानकार लोगों का कहना है कि यहां इसी जगह गैस कंपनी ओएनजीसी का एक पुराना गैस कुआं था, जो बंद पड़ा था। चोरी की घटना के कारण उसी में से गैस रिसाव हो रहा है। लोकल एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि आस-पास घनी आबादी नहीं होने के कारण बड़े खतरे की संभावना नहीं है।

पिछले साल यूपी में रहस्यमयी आग

बता दें कि पिछले साल उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मोहम्मदी के जंगलों में कुछ इसी तरह का मामला सामने आया था. जंगलों में बंजर जमीन के नीचे आग लगने और वहां से धुआं उठता देख आसपास के गांवों में अफरातफरी मच गयी थी। बेला पहाडा और मुदा गालिब गांवों के लोग जमीनी दरारों से उठते धुआं तो देख हैरान हो गए थे।

मुदा गालिब गांव के बुजुर्ग हुकुम सिंह ने कहा कि उन्होंने ऐसा मंजर जिंदगी में कभी नहीं देखा। समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक, हुकुम सिंह ने आग से फसल को नुकसान होने की आशंका जताई थी।  गांव के ही एक और बुजुर्ग भाईलाल ने तो इसे कुदरत का करिश्मा ही कह दिया था।

रिपोर्ट – सिकंदर शेख, जैसलमेर।