गुना की घटना और दलित राजनीति

  • क्या मध्यप्रदेश की दलित राजनीति सो गई है ?
  • क्या चुनावी मौसम में साथ बैठकर फोटो खिंचवाने के लिए हैं दलित ?
  • दलित के पैर धोने से न्याय का राज कायम नहीं होता मोदी जी !
  • भाजपा राज में ‘राम’ के साथ अन्याय की तस्वीर

फोकस भारत। आज खून न उबले तो क्या हो। राजनीति और सिस्टम में दीमक लगी है। जनसेवा या मानवीयता न राजनीति में रही न सिस्टम में। मध्यप्रदेश की गुना की तस्वीरें आपने देखी होंगी। शुक्र है कि राम कुमार और सावित्री जिंदा हैं। भारतीय जनता पार्टी की सरकार है मध्यप्रदेश में, तो सवाल उस भाजपा से पूछे ही जाएंगे जो राम की आस्था से लबरेज है, ऐसा मंदिर बनाना चाहती है उत्तर प्रदेश में ये पार्टी जो पाकिस्तान से भी नजर आए। मंदिर में पत्थर पूजोगे और गरीब किसान दलित के खेत पर बुलडोजर चलवाओगे ?

यही दलित राजनीति है भाजपा की ? वो भाजपा जिसका पावर जनरेटर नरेंद्र मोदी हैं, जो चुनाव के वक्त दलितों के पैर थाल में रखकर पानी से धोते हैं, दिखावे के लिए ? वो भाजपा जिसके नेताओं, मंत्रियों के लिए सर्कुलर जारी होता है कि दलितों के साथ उनके घर पर भोजन करो, उनकी चारपाइयों पर बैठो, उनके साथ वक्त बिताओ। सिर्फ और सिर्फ वोट पाने के लिए ? खुद भगवान राम को भी तरस आता होगा ऐसी राजनीति पर। राम ने दिखावा नहीं किया था शबरी के जूठे बेर खाने में, निषादराज से दोस्ती निभाने में, आदिवासियों की सहायता लेकर युद्ध के रण में उतरने में। लेकिन ढकोसले की हद है।

गुना के कैंट थाना इलाके में सिस्टम खामोश है, सांप सूंघ गया है, हाल ही यहां जो घटना घटी है, उसने एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह राजनीति पर भी लगाया है और प्रशासन पर भी। राम कुमार अहिरवार और उसकी पत्नी सावित्री देवी ने कीटनाशक पीकर जान देने की कोशिश की थी, वे अभी खतरे से बाहर हैं, इस गरीब दलित परिवार ने तीन लाख का लोन लेकर एक खेत में साल भर पसीना बहाया, फसल उपजाई, किसी ने सरकारी जमीन बताकर धोखा किया था, दरअसल कॉलेज की इस जमीन को खेत बताकर किसी भूमाफिया ने पैसा लेकर ये जमीन राम को किराए पर दे दी थी, प्रशासन को जमीन कब्जामुक्त करानी थी, खड़ी फसल पर जेसीबी चला दी गई।

(गुना में दलित परिवार पर बर्बरता की तस्वीर)

आंखों के सामने अपनी फसल को रौंदे जाते देखा तो परिवार ने विरोध किया। पुलिस जाब्ता तैयार था। परिवार और उसके परिजनों को लाठियों से बेतरह मारा गया। आहत राम और सावित्री ने कीटनाशक पी लिया और बेसुध होकर गिर पड़े। बुधवार को पुलिस की बर्बरता का यह वीडियो वायरल हो गया। राम और सावित्री के बच्चों की इस तस्वीर  ने मौन विलाप का सन्नाटा पैदा किया है। जिन कानों में सत्ता हथियाने के षडयंत्रों के अलावा कोई आवाज नहीं पहुंचती उन कानों में इस तस्वीर ने सुराख कर दिया है।

हल्ला मचा तो शिवराज की नींद टूटी। देर रात ग्वालियर रेंज के आइजी राजाबाबू सिंह, गुना के कलेक्टर एस. विश्वनाथन और पुलिस अधीक्षक तरण नायक को हटा दिया गया। आइजी पुलिस मुख्यालय में पदस्थ अविनाश शर्मा को ग्वालियर रेंज का नया आइजी और 26 वीं वाहिनी गुना के सेनानी राजेश कुमार सिंह को नया एसपी बनाया गया है।

सियासत मौके पर ही क्यों जागती है ?

अब मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा दोषियों को ना बख्शने का कितना ही ढिंढोरा पीटें, ज्योतिरादित्य चाहे पायलट को अपने खेमे में लाने का काम थोड़ी देर के लिए भूलकर घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताएं, भले कुर्सी खो चुके कमलनाथ और दिग्विजय घटना को जंगलराज करार दे जाएं और भले दलित के नाम पर वोट और पैसा बटोरने वाली लगभग खारिज हो चुकी मायावती इस घटना में अपने दोबारा उदय का सपना पालें, लेकिन ये सच है कि दलित कल्याण राजनीति के भरोसे नहीं हो सकता। राष्ट्रवाद और राम की हुंकार भरने वाली पार्टी के मुखिया उस राज्य से आते हैं जहां गांधी ने कहा है- वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे…

लेकिन ये राजनीति है, यहां पराई पीर पर भी तब तक नजर नहीं जाती, जब तक उस पर मलाई की मोटी परत न आ जाए।

 

रिपोर्ट- आशीष मिश्रा

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