51 करोड़ के लिए भटक रहे तिरुपति के ट्र्स्टी

  • 800 किलो सोना, 10 हजार करोड़ की FD
  • फिर भी 51 करोड़ के लिए परेशान ‘तिरुपति’
  • ‘तिरुपति’ को नोटबंदी का घाव कैसे लगा ?

फोकस भारत। भगवान के लिए लाइन लगती है, मगर अफसोस, समय रहते भगवान लाइन में नहीं लग सके। वरना नोटबंदी में बेकार हुए उनके नोट बदल दिए जाते। बात व्यंग्य के लहजे में कही गयी है लेकिन इसे गलत न समझिये। दक्षिण भारत के आन्ध्रप्रदेश स्थित सबसे अमीर माने जाने वाले तिरूपति मंदिर ट्रस्ट इन दिनों इतनी कड़की की हालत में है कि अपने कर्मचारियों को सेलरी तक नहीं दे पाया और मंदिर ट्रस्ट ने 1300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। अब ट्रस्ट के मुखिया चाहते हैं कि उनके 51 करोड़ रुपए के पुराने नोटों को बदल दिया जाए, तो भगवान और भगवान के सेवकों को कुछ राहत मिले। सोचिये, नोटबंदी का असर कहां तक हुआ, जो भगवान की शरण में पड़े थे, भगवान उनकी भी रक्षा न कर सके।

ट्रस्ट चेयरपर्सन ने की वित्त मंत्री से मुलाकात-

तिरुपति तिरुमला देवस्थानम ट्रस्ट के चेयरपर्सन वाईवी सुब्बारेड्डी ने दिल्ली में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की, बताया कि ट्रस्ट के पास पुराने चल के 500 और 1000 के नोटों की 51 करोड़ की रकम है, यह दानपात्रों से निकली रकम है, ट्रस्ट अध्यक्ष ने इसे चालू करेंसी से बदलने की अपील की। कोरोना काल में ये हालत है। देश का सबसे अमीर मंदिर, नोटबंदी के चार साल बाद इस तरह की अपील करता नजर आए, तो समझिये हालात क्या हैं?

कहां से आये 51 करोड़ के पुराने नोट ?

दरअसल नोटबंदी के बाद मंदिर प्रशासन ने पुराने नोट स्वीकार करना बंद कर दिया था, लेकिन चतुर भक्तों ने पुरानी करेंसी मंदिर के दानपात्रों में डाल दी। इस हुंडी यानी दानपात्र में मंदिर का दखल नहीं होता। आरबीआई ने पुराने नोट बदलने की आखिरी तारीख का एलान किया उसके बाद भी लोग पुरानी करेंसी दानपात्रों में डालते रहे। मंदिर में आम दिनों में औसतर 1 लाख के करीब भक्त आते हैं जो सोने और नकदी का दान करते हैं, उत्सव के समय श्रद्धालुओं के आने की तादाद और बढ़ जाती है।

मंत्री ने कहा RBI के सामने रखेंगे मुद्दा

निर्मला सीतारमण दक्षिण भारतीय हैं और तिरुपति की महत्ता समझती हैं, उन्होंने वादा किया है कि मामले को आरबीआई के सामने रखा जाएगा। यह आश्वासन इसलिए भी दिया गया है क्योंकि तिरुपति मंदिर से सरकार का भी रेवेन्यू जनरेट होता है।

मंदिर में कैश का संकट

रेड्डी का कहना है कि मंदिर में सामान्य दिनों में औसतन 200 करोड़ की आमद होती है। वहीं ट्रस्ट के सभी कर्मचारियों का वेतन और अन्य खर्चे मिलाकर हर महीना करोड़ों का खर्चा भी होता है, कोरोना संकट के दौर में मंदिर बंद है और अब उनके पास कैश का संकट पैदा हो गया है। फिलहाल मंदिर में कॉन्ट्रेक्ट पर लगे 1 हजार 300 से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया। ट्रस्ट के पास देने को सेलरी नहीं थी। 30 अप्रैल के बाद इस कर्मचारियों की नौकरी चली गई। ये कर्मचारी मंदिर ट्रस्ट की ओर से चलाए जाने वाले अतिथिगृहों के सेवक थे।

सोना और फिक्स डिपोजिट-

मंदिर के पास अभी 800 किलो सोना और 10 हजार करोड़ की FD है। लेकिन ट्रस्ट चलान के लिए कैश नहीं है। 50 से भी ज्यादा दिनों से मंदिर बंद है, कब खोला जाएगा, इसकी जानकारी नहीं है। फिलहा, मामले की मीडिया रिपोर्ट बाहर आईं तो सोशल मीडिया पर ट्रेंड चल निकला। खबर शेयर की जाने लगी, नोटबंदी के साइड इफेक्ट के तौर पर देखी जाने लगी।

रिपोर्ट- आशीष मिश्रा 

 

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