ट्रेलर रिव्यू : खूब धड़क रहा है ‘दिल बेचारा’ !

फोकस भारत। ‘कर बंद सभी घड़ियां…और मूड बना बढ़िया’ गीत के ये बोल सीधे जाकर आपकी रूह से टकराते हैं। दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म ‘दिल बेचारा’ के ट्रेलर ने यू-ट्यूब पर धमाल मचा रखा है। यह फिल्म 24 जुलाई को डिजिटल प्लेटफार्म पर रीलीज़ होगी, जिसका ऑफिशियल ट्रेलर 6 जुलाई को रिलीज किया गया था और अब तक इसे 4 करोड़ 47 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है। इतना ही नहीं ‘दिल बेचारा’ का प्रोमो दो ही दिन में 8 मिलियन लाइक्स भी पार कर चुका है। यू-ट्यूब पर प्रोमो डालते ही यह हैशटैग टॉप ट्रेंड में आ चुका था। शुरूआती 98 मिनिट में ट्रेलर ने एक मिलियन लाइक्स पाकर कीर्तिमान भी रच दिया । कहने के मानी ये हैं कि सुशांत के यूं प्रस्थान ने उनके फैन्स का दिल तोड़ दिया है और अब फैन्स का ‘दिल बेचारा’ उनकी आखिरी फिल्म के लिए 24 जुलाई का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

फिल्म में सुशांत के अपोज़िट नज़र आईं संजना सांघी ने हाल ही इंस्टाग्राम पर एक भावुक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि फिल्म के दौरान सुशांत का व्यवहार बहुत जिंदादिल था, वे सुशांत के चले जाने का यकीन नहीं कर पा रही हैं। फिल्म में संजना कैंसर पेशेंट लड़की किज़ी बासु के किरदार में नजर आएंगी। डिज्नी हॉटस्टार मल्टीप्लेक्स की प्रस्तुति दिल बेचारा का प्रोडेक्शन फोक्स स्टार स्टूडियो ने किया है। सुशांत के अज़ीज दोस्त मुकेश छाबड़ा ने फिल्म को निर्देशित किया है और ए.आर. रहमान का संगीत हमेशा की तरह कहानी के इर्द-गिर्द हंसी-खुशी और वेदना में तीसरे किरदार की तरह उभरता महसूस होता है। सुशांत का मुस्कुराकर कहना ‘चल झूठी’ जरूर आपको अंदर तक आर्त करने की क्षमता रखता है। खासतौर से जब वे हमारे बीच नहीं हैं।

फिल्म की कहानी जॉन ग्रीन के उपन्यास ‘द फाल्ट इन अवर स्टार्स’ (2012) पर आधारित है। फिल्म का मुख्य किरदार इमैनुअल राजकुमार जूनियर उर्फ मैनी (सुशांत) खुद एक तरह के कोमा से उबर चुका है और किज़ी के साथ उसकी मुलाकातें तकलीफ में प्रेम की मिठास घोलती सी महसूस होती हैं। किज़ी अपनी जिंदगी को थमते देख रही है और वह इन हालात को स्वीकार भी कर चुकी है। लेकिन इसी बीच उसके जीवन में प्यार दस्तक देता है और फिर ‘एक था राजा, एक थी रानी…दोनों मर गए खत्म कहानी’ की हकीकत के मकड़जाल में फंसकर छटपटाती भी दिखाई देती है।

फिलहाल, कैंसर या असाध्य बीमारी को लेकर कई फिल्मों का ताना-बाना बुना गया है जिसमें ‘आनंद’ एक अलग पायदान पर है। इसी कड़ी में ‘कल हो न हो’ की दुर्घटनाएं भी रची गईं। लेकिन ‘दिल बेचारा’ में जिस तरह मैनी अपनी दोस्त किज़ी की पेरिस घूमने की ख्वाहिश को पूरा करता नजर आता है, यह दृश्य गाहे-बगाहे विनय पाठक की ‘दसविदानियां’ की भी याद दिलाता है।

बहरहाल, सुशांत का एक डॉयलॉग जब आप सुनेंगे तो अपने आप को जज्बात की रूहानियत की मखमली गोद में मससूस करेंगे-‘जन्म कब लेना और कब मरना है ये हम डिसाइड नहीं कर सकते…लेकिन कैसे जीना है, ये हम डिसाइड कर सकते हैं।‘ फिल्म के हिट या फ्लॉप होने को आर्थिक नजरिये से देखा जाता रहा है। लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जहां इंसानी नजरिया मन की अथाह गहराइयों में गोते लगाने लगता है। अपने फैन्स से सुशांत एक बार फिर जिंदा मिलने वाले हैं 24 जुलाई को।

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