फोकस भारत। कोरोना संक्रमण के बीच डॉक्टर से लेकर स्वास्थ्य कर्मी तक अपनी जान को जोखिम में डालकर देशवासियों की जान को बचाने में जुटे हुए हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग और पुलिस टीम पर बुधवार को मुरादाबाद में लोगों ने हमला कर दिया, जिसमें डॉक्टर समेत सात लोग घायल हुए हैं। देश में इस तरह की लगातार घटनाएं हो रही हैं। आखिर भारत में लॉकडाउन के बीच लगातार जगह-जगह मेडिकल टीम पर हमले क्यों हो रहे है। क्या है वजह?
-शिक्षा की कमी के चलते वो कोरोना के खतरों को समझ नहीं पा रहे लोग
-सोशल मीडिया पर फर्जी खबरो की वजह से सूचनाओं की सही जानकारी नहीं पहुंचना
-वॉट्सअप ग्रुप में जो खबरें प्रसारित हो रही है उन्हें बिना सोचे -समझे सही मानना
-मीडिया भी सांप्रदायिक उंमाद फैलाने का काम कर रहा है
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सामाजिक विशलेषक कहते है कि ऐसी घटनाएं हर जगह और हर समुदाय के बीच हो रही हैं, कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच लोग यह महसूस कर रहे हैं कि उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है और क्वारनटीन या फिर जेल में रखा जाएगा। इसके अलावा पुलिस की ज्यादती के मामले भी सामने आए हैं, जिसकी वजह से लोगों में संदेह पैदा हो रहा है। इसीलिए लोग क्वारनटीन में जाने से डर रहे हैं। आज माहौल वैसा ही बन गया है जैसे आपातकाल के समय लोग पुलिस को देखकर भागते थे कि उन्हें ले जाकर नसबंदी कर देंगे। ऐसे में राज्य सरकारों के साथ ही केन्द्र सरकार को भी आम आवाम को भरोसा देना चाहिए जिससे लोगो में डर, भय जैसे मानसिक स्तर को दूर किया जा सके ।
प्रेषक कहते है कि चौथा स्तंभ यानि की मीडिया अपनी भूमिका सही नहीं निभा रहा है। लॉकडाउन के बीच कोरोना वायरस की घटनाओं को विशेष समुदाय से जोड़ कर खबरों का प्रचार प्रसार कर रहा है। जिसे देश में एक नफरत का वातावरण बन रहा है। मीडिया की गैर जिम्मेदारी या यूं कहे कि टीआरपी का खेल सब पर भारी पड़ रहा है। हिंदू-मुस्लिम के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। लॉकडाउन के बीच इस तरह की घटनाएं देश भर में हो रही हैं, सरकार उनकी समस्याओं को न समझ रही है और न ही उन्हें कोई राय दे रही है। भारत में आज भी बहुत से लोग है जहां स्वाभाविक तौर पर शिक्षा की कमी है, जिसकी वजह से कुछ जगह गलतफहमी में ऐसी घटनाएं हो रही है।