फोकस भारत। दिल्ली के निजामुद्दीन में 8 से 21 मार्च तक तबलीगी जमात के मरकज में शामिल कई लोग कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए। इसमें विदेश से लेकर देश के तमाम राज्यों से आए लोग शामिल हुए थे। मरकज में आए जमात के सदस्यों में बड़ी संख्या में दक्षिण भारतीय राज्यों के लोग थे। लेकिन इन्हें दक्षिणी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भरोसा दिया जिसकी वजह से ये खुद सामने आए और जांच करवाई। बुधवार तक तमिलनाडु में कोरोनावायरस से संक्रमित 738 लोगों में से 679 लोग निजामुद्दीन में जमात के कार्यक्रम में शामिल थे। तमिलनाडु ने प्रोग्राम में शामिल 1480 लोगों को पता कर उन्हें आइसोलेट कर दिया है। यहां से 1500 लोग इसमें शामिल हुए थे। आंध्र ने ऐसे 1042 लोगों का पता लगाय। इनमें से 196 केस कोरोना पॉजीटिव मिले। इसी तरह केरल और कर्नाटक में भी मरकज में शामिल तबलीगी जमात के लोग खोज निकाले गए ।
दक्षिणी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने दिया भरोसा
आखिर दक्षिण भारत के राज्यों ने किस रणनीति पर काम किया?
कई उत्तरी राज्यों में चला नफरत कैंपेन
दरअसल दक्षिणी राज्यों ने इसमें सहानुभूति से काम लिया। जबकि उत्तरी राज्यों में तबलीगी जमात के लोगों के खिलाफ एक हेट कैंपेन चलता हुआ दिखा। भरोसे और सहानुभूति की दक्षिणी राज्यों की रणनीति कारगर रही। सीएम पी विजयन ने एक अपील जारी कर कहा कि मरकज में गए लोग खुद आगे आएं। उन्होंने कहा कि हम उन्हें खोज नहीं पाए हैं। उन्हें हम भरोसा देते हैं कि संक्रमित पाए जाने पर सबसे अच्छा इलाज मुहैया कराएंगे। द न्यूज मिनट की खबर के मुताबिक इस अपील के बाद 1103 लोग खुद टेस्टिंग के लिए आगे आ गए। इसके बाद कई और लोग टेस्टिंग के लिए आगे आए हैं। आंध्र में सीएम जगनमोहन रेड्डी ने 1 अप्रैल को ऐसी ही अपील जारी की। तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव लगातार कहते रहे कि इस मुद्दे को सांप्रदायिक शक्ल नहीं देना चाहिए, जो लोग निजामुद्दीन के प्रोग्राम में गए थे वे कोई घुसपैठिए नहीं थे। कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि कोई भी मुस्लिमों के खिलाफ एक शब्द न बोले। अगर किसी ने कुछ कहा तो मैं उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लूंगा।
दक्षिण भारत के राज्यों के मुख्यमंत्रियों के समर्थन और भरोसे की वजह से जमातियों को वहां नफरत नहीं झेलनी पड़ी, जबकि उत्तरी राज्यों में उनके खिलाफ पूरा नफरत कैंपेन चला। दिल्ली सरकार का रवैया अजीब था। केजरीवाल सरकार ने पहले तो दो सप्ताह से चल रहे तबलीगी जमात के मरकज से दूरी बनाए रखी और बाद में सारा दोष दिल्ली पुलिस और जमात के लोगों पर ही मढ़ दिया। दिल्ली के बीजेपी सांसदों ने केजरीवाल से कहा कि वे जमात के सदस्यों को चेतावनी दें नहीं तो कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। हालांकि सीएम ने अभी तक ऐसा नहीं किया है। असम सरकार ने तबलीगी जमात के प्रोग्राम में शामिल हुए लोगों को खोजने के लिए कड़ी चेतावनी जारी की। राज्य सरकार ने कहा कि वे सात अप्रैल तक अपनी पहचान खुद जाहिर कर दें तो नहीं तो उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा। वहीं राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों से भी जमातियों को भरोसा दिये जाने की कोई अपील नजर नहीं आई। यहां के मुख्यमंत्री भी वेट एंड वॉच की स्थिति में रहे। इसके विपरित दक्षिणी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मुस्लिम नेताओं से बैठक की और यह सुनिश्चित करवाया कि निजामुद्दीन गए जमात के लोग अपनी पहचान जाहिर करें। वह खुद को सुरक्षित महसूस करें और अपनी इच्छा से टेस्टिंग के लिए आगे आएं। अपनी बेहतर इलाज की सुविधा को हासिल करें और कोरोना वायरस को फैलने से रोकें।