क्या असम के CM हिमंत बिस्व सरमा ‘योगी’ स्टाइल में काम कर रहे हैं?

फोकस भारत। हिमंत बिस्व सरमा(Himanta Biswa Sarma) को असम का मुख्यमंत्री बने  दो महीने ही हुए हैं, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दौरान राज्य में 34 से अधिक ‘एनकाउंटर’ हुए जिनमें 15 अपराधी मारे गए हैं। पुलिस के अनुसार इन तमाम लोगों को चरमपंथ, बलात्कार, हत्या, नशीली दवाओं की तस्करी, पशु तस्करी और डकैती जैसे अपराधों के लिए पकड़ा गया था। मसलन इस बीच शुक्रवार को मोरीगांव ज़िले में एक और ‘एनकाउंटर’ की घटना सामने आई हैं जिसमें एक संदिग्ध ड्रग तस्कर घायल हुआ है। ऐसा कहा जा रहा है कि ड्रग तस्कर ने कथित तौर पर पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश की थी।

दरअसल  असम में पिछले दिनों हुए इन ‘एनकाउंटर्स’ की शिकायत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज कराई गई है। दिल्ली में वकालत कर रहे असम के आरिफ़ जवादर ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में पुलिस हिरासत से पिस्तौल छीनने के प्रयास में छोटे अपराधियों को गोली मारने की शिकायत दर्ज कराई है। 

राजनीतिक विश्लेषक कहते है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद हिमंत बिस्व सरमा ने महज़ दो महीने के भीतर कुछ ऐसे अहम फ़ैसले लिए हैं जिसके आधार पर  उनके काम करने की स्टाइल को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(Yogi Adityanath) के काम करने के तरीकों से मिलाकर देखा जा सकता है।  राजनीतिक पंड़ित कहते है कि  मुख्यमंत्री सरमा ने ज़िम्मेदारी संभालते ही राज्य में मंदिरों की भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए सबसे पहले दरंग ज़िले में अभियान चलाया, सरकारी कब्ज़े वाली भूमि को खाली कराने के लिए जो अभियान चलाया गया उसके बाद लगभग 200 परिवार  बेघर हो गए। बेघर हुए सभी परिवार मुस्लिम समुदाय के थे। एक बड़ा सवाल ये है कि  क़रीब 20 साल कांग्रेस में रहकर अपनी राजनीतिक ज़मीन तैयार करने वाले हिमंत क्या बीजेपी में अपने इस तरह के फ़ैसलों से ख़ुद को एक हिंदुवादी नेता साबित करने में लगे हैं?