राजीव की सौम्यता, इंदिरा के तेवर यानी प्रियंका गांधी

  • राजस्थान का सियासी संकट किया हल
  • संगठन के लिए सक्षम है प्रियंका 
  • यूपी में बढ़ रहा प्रियंका का कद

फोकस भारत। प्रियंका गांधी ने साबित किया है कि ईश्वर ने उन्हें पिता राजीव गांधी जैसी सौम्यता बख्शी है तो दादी इंदिरा गांधी के तेवर भी दिए हैं। बताया जा रहा है कि राजस्थान का सियासी संकट हल करने में सबसे बड़ी और प्रमुख भूमिका प्रियंका गांधी ने निभाई है। खुद सचिन पायलट यह बात स्वीकार कर चुके हैं। 

सियासी संकट का हल प्रियंका के पास

राजस्थान में सियासी संकट एक महीने से ज्यादा चला। लोग ये मानने लगे कि गहलोत सरकार गिर जाएगी। सरकार गिराने के हर तरह के प्रयास किए गए और कई प्रोपेगेंडा रचाए गए। इस पूरे मामले में कहीं न कहीं आलाकमान पर उंगलियां भी उठाई गई। लेकिन आलाकमान ने केसी वेणुगोपाल, अजय माकन और रणदीप सुरजेवाला के जरिए ऐसे हालात बनाए रखे कि सचिन पायलट और बागियों के लिए कांग्रेस में वापस आने की राह आसान रहे। गांधी परिवार की तरफ से सचिन पायलट खेमे से बात करने की कोशिशें की गईं लेकिन बात नहीं बनी। सचिन पायलट ने खुद माना कि प्रियंका गांधी ने उनकी बात सुनी और आश्वासन दिया। बागी विधायकों ने भी माना कि प्रियंका गांधी के कारण उनके लौटने की राह सुगम हुई। ऐसे में प्रियंका गांधी को संगठन की लीडर के तौर पर देखा जा रहा है।

उत्तरप्रदेश की भावी मुख्यमंत्री हो सकती हैं प्रियंका

प्रियंका गांधी मुखर होती जा रही हैं। साथ ही उनमें संयम भी गजब का है। बंगला खाली कराने और सुरक्षा वापस होने के वक्त उन्होंने कमाल का धैर्य दिखाया और किसी तरह की विपरीत प्रतिक्रिया नहीं दी। बल्कि तय समय पर दिल्ली का बंगला खाली कर वे किराए का मकान तलाशने लगीं। प्रियंका के लखनऊ शिफ्ट होने की अटकलों के बाद से ही यह कहा जाने लगा कि प्रियकां को कांग्रेस यूपी के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करेगी। इस बात में दम भी नजर आता है, अमेठी में राहुल गांमधी की हार के बाद प्रियंका यूपी में सक्रिय हो गई हैं और हर मुद्दे पर योगी सरकार को घेरती नजर आती हैं।

राजीव की सौम्यता, इंदिरा के तेवर

प्रियंका गांधी में पिता राजीव गांधी जैसी सौम्यता है और दादी इंदिरा गांधी जैसे तेवर हैं। वे जनभावना का आदर करती हैं। साथ ही जन-ज्वार और लहर को भी समझती हैं। लिहाजा समय को देखते हुए राजनीति करने का हुनर उनकी रगों में मौजूद है। राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर उन्होंने भक्ति और सद्भाव से मिला-जुला संदेश प्रसारित किया और हिन्दू आस्था को नमन करके अपना रुख दिखा दिया। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि राम सबके हैं और राम सबमें हैं। इसके अलावा अपराध के मुद्दों पर उनके तीखे तेवर भी साफ झलकते हैं। वे पीड़ित पक्ष के घर तक पहुंच जाती हैं और जनता के बीच उनकी छवि इंदिरा गांधी की याद दिलाती भी है।

जननेता बनने की राह पर प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी में राजनीतिक गांभीर्य स्वाभावित तौर पर है। वे मंच से कई बार भाषण दे चुकी हैं और कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ता उनमें राजीव और इंदिरा की संयुक्त छवि देखते हैं। इसके इतर भी प्रियंका की अनपी जनप्रिय नेता वाली छवि है। भविष्य में प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री पद की दावेदार भी हो सकती हैं। आदिवासी दिवस पर उन्होंने अपनी एक तस्वीर शेयर की है, जिसे वे पहले भी शेयर कर चुकी हैं। तस्वीर में वे खेत की पगडंडियों पर ग्रामीण महिला का हाथ थामे चल रही हैं, साथ ही जंल-जंगल-जमीन की बात कर रही हैं। प्रियंका और कांग्रेस का गरीब कार्ड बहुत पुराना है और मनरेगा जैसी योजनाओं ने कोरोना काल में अपनी उपयोगिता भी साबित की है।

(प्रियंका गांधी के कुछ ट्वीट)

लिहाजा, कहा जा सकता है कि संगठन को साधने में सक्षम प्रियंका का स्थान लगातार ऊंचा होता जा रहा है और कद लगातार बढ़ता जा रहा है। भाजपा और एनडीए के लिए ये परेशानी का सबब हो सकता है। संभव है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नींद इन दिनों उड़ी हुई हो, क्योंकि यूपी में जिस तरह प्रियंका का कद बढ़ता जा रहा है, आम जन के बीच जिस तरह उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ है, वह भाजपा के लिए रेड अलर्ट से कम नहीं है।

रिपोर्ट- आशीष मिश्रा