बिहार राजनीति : दावों की बाढ़ और विपक्ष का अकाल !

  • पुल अपनी जगह सुरक्षित है
  • नदी के कटाव से एप्रोच रोड बहा है
  • बिहार में हर साल होता है कटाव
  • तेजस्वी ने किया था नीतीश सरकार पर प्रहार

फोकस भारत। बिहार के गोपालगंज में एक पुल ढहने की खबरें आईं। सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर किया गया। खबरों की बाढ़ में तिल का ताड़ और राई का पहाड़ खड़ा कर दिया गया। बताया गया कि महीने भर पहले करोड़ों की लागत से बना पुल ढह गया, नीतीश सरकार भ्रष्टाचार में डूबी है। मामला खुला तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया साबित हुआ। हालांकि सब जानते हैं यह राजनीति चुनावी है।

लालू के लाल ने किया जबरा ट्वीट

लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव ने बाकायदा ट्वीट पर पुल का वीडियो जारी कर लिखा कि 8 साल में 263 करोड 47 लाख की लागत से बना गोपालगंज का सत्तर घाट पुल, जिसका 16 जून को नीतीश जी ने उद्घाटन किया था आज 29 दिन बाद पुल ध्वस्त हो गया…ख़बरदार! अगर किसी ने इसे नीतीश जी का भ्रष्टाचार कहा तो? 263 करोड़ तो सुशासन की मुँह दिखाई है….इतने की तो इनके चूहे शराब पी जाते हैं।

तेजस्वी के इस ट्वीट ने मीडिया और सोशल मीडिया को खबरें दे दीं। दरअसल, गोपालगंज जिले छपरा-सत्तरघाट को जोड़ने वाला यहा पुल बैकुंठपुर के फैजुल्लाहपुर में है। पुल पूरी तरह सुरक्षित है, बस जहां जमीन पर वह एप्रोच रोड से जुड़ता है, वह सड़क ही पानी के कटाव में बह गई है।

सोशल मीडिया में तस्वीर और मीडिया में खबरें तेजी से वायरल हुई। इसके बाद बिहार पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव का बयान आया था- प्राकृतिक आपदा है, सड़कें बह जाती हैं, पुल टूट जाते हैं। मंत्री ने यह भी कहा कि पानी जब बढ़ता है तो ऐसे हालात पैदा हो जाते हैं, पानी का बहाव कम होगा तो उसे ठीक कराया जाएगा।

बिहार को कोसी का शोक कहा जाता है। हर साल यहां बाढ़ आती है। दियारा इलाका डूब जाता है। फसलें, गांव सब चौपट हो जाते हैं। हर साल बिहार इस आपदा से गुजरता है। लेकिन इस बार इस पुल का ढहना नीतीश सरकार के ढहने से जोड़कर क्यों देखा जा रहा है। बिहार में जल्द ही चुनाव होने जा रहे हैं। कोरोना को देखते हुए हालांकि चुनाव टल भी सकते हैं, लेकिन मौजूदा वक्त नीतीश सरकार पर चौतरफा उंगलियां उठ रही हैं। सरकार पर भ्रष्ट होने के आरोप लग रहे हैं। बिहार में जदयू भाजपा गठबंधन है। चुनाव के मद्देनजर ही तेजस्वी समेत पूरा विपक्ष नीतीश पर हमलावर है। हालांकि जिस पुल के ढहने की बात की है, वह ज्यों का त्यों अपनी जगह खड़ा है और पूरी तरह सुरक्षित है। एप्रोच रोड के कटाव को पुल ढहने से जोड़कर पेश किया जा रहा है। फिलहाल पुल ढहने की अफवाह उड़ाकर तेजस्वी नीतीश सरकार ढहाने की मंशा रखते थे, लेकिन एप्रोच रोड का बहना भी जदयू-भाजपा गठबंधन के लिए शुभ संकेत नहीं है।

रिपोर्ट – आशीष मिश्रा 

 

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