तिब्बत विवाद : चाईनीज़ ऊंट अमेरिकी पहाड़ के नीचे ?

(तिब्बत मुद्दे पर अमेरिका चीन में वीज़ा वॉर)

फोकस भारत। विस्तारवादी चीन अपनी करतूतों के कारण दुनियाभर के निशाने पर है। नया मामला तिब्बत को लेकर है। चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति के चलते लद्दाख पर कब्जा जमाया हुआ है और बड़ी तादाद में तिब्बती भारत में शरण लिये हुए हैं। तिब्बत अपनी स्वायत्तता के लिए संघर्ष कर रहा है। तिब्बत को चीन ने ऐसा क्षेत्र बना दिया है जिसमें विदेशी राजनयिकों, पत्रकारों और पर्यटकों को प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। ऐसे में तिब्बत का पूरा सच दुनिया के सामने खुलकर नहीं आ पाया। गौरतलब है कि अमेरिका तिब्बत में सार्थक स्वायत्तता का मुद्दा उठाता रहा है, साथ ही अमेरिका चाहता है कि चीन उसके प्रतिनिधियों को अपनी पश्चिमी इलाकों (तिब्बत) में जाने से न रोके। लेकिन चीन ने इस अपील को खारिज कर दिया। इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा कि अमेरिका ने चीन के उन चुनिंदा अधिकारियों पर वीजा की पाबंदी लगाई है जो अमेरिका की नीतियों में बाधा साबित हो रहे हैं।

दरअसल, अमेरिकी विदेश मंत्री का कहना यह था कि अमेरिका में चीन के राजनयिक, पत्रकार और पर्यटक कहीं भी आ-जा सकते हैं, उन पर कोई विशेष तरह की रोकटोक नहीं है, लेकिन अमेरिकी लोगों पर चाहे वे राजनयिक हों, अधिकारी हों, पत्रकार हों या टूरिस्ट, उन्हें चीन के कुछ विशेष इलाकों में जाने से रोका जाता है। यह स्थित दुर्भाग्यपूर्ण है। पम्पियो ने यह भी कहा कि उन्हीं चीनी अधिकारियों पर वीजा पाबंदियां लगाई गई हैं जो चीन में अमेरिकियों के साथ ऐसा बर्ताव करते हैं।

इसके एक दिन बाद ही बुधवार को चीन की ओर से भी अमेरिकी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाते हुए कहा कि गया कि तिब्बत से जुड़े मामलों पर गलत व्यवहार करने वाले अमेरिकियों पर वह प्रतिबंध लगा रहा है। अमेरिका और चीन का प्रतिबंध का यह खेल इस नजरिये से भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि अमेरिका लगातार तिब्बत में मानवाधिकार हनन का मामला उठाए हुए है और तिब्बती इलाकों तक अपनी पहुंच बनाना चाहता है। हांगकांग के मामले में भी अमेरिका चीन को घेर चुका है। चीन पर अमेरिका की यह झुंझलाहट तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र तक न पहुंच पाने को लेकर है। इस टकराव को लेकर भारत का लद्दाख का पक्ष मजबूत हो रहा है।

भारत के लद्दाख में एलएसी पर उसकी कारगुजारियों को पूरे विश्व ने देखा। इतना ही रहीं बल्कि उसके उकसावे पर नेपाल भी अपने मोहरे चल रहा है और भूटान पर भी वह भारत को सीमा विवाद में उलझाने की कोशिश करता नजर आ रहा है। ड्रैगन की हर चाल पर अब उसे घेरने की तैयारी की जा रही है। कोरोना मामले में पहले ही चीन अपनी नीतियों के कारण कटघरे में हैं वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोरोना को लेकर अब अमरीकी लहजे में बात करना शुरू कर दिया है। कहीं ऐसा तो नहीं कि आग उगलता ड्रैगन अपनी ही पूंछ जला बैठे।

रिपोर्ट : आशीष मिश्रा

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