कोरोना काल: मोदी के पॉलिटिकल करियर की अब तक की सबसे बड़ी परीक्षा, करो या मरो स्थिति

फोकस भारत। भारत में कोरोना काल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए एक अग्निपरीक्षा है। राजनीतिक विश्लेषक कहते है कि “ये उनके पॉलिटिकल करियर की अब तक की सबसे बड़ी परीक्षा है। अगर कोविड-19 से निपटने में भारत क़ामयाब रहता है तो वे देश की मौजूदा पीढ़ी के सबसे ताक़तवर और पसंदीदा राजनेता के तौर पर अपनी साख़ को मज़बूत करेंगे। लेकिन अगर भारत में कोरोना संक्रमण के मामले विस्फोटक स्थिति में पहुंचते हैं, तो देश में बड़े स्तर पर अप्रत्याशित समाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिल सकता है।”

राजनीतिक पंड़ित कहते है कि चाहे गुजरात के भुज में भूकंप की बात हो या 2002 के दंगों की बात हो, इतने बड़े पैमाने पर कुछ भी नहीं हुआ। मोदी ने अपने राजनीतिक करियर में कई चुनौतियां झेली हैं लेकिन किसी की व्यापकता इतनी नहीं थी, जितनी कोरोना संक्रमण की है। कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए उन्हें केवल पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के मोर्चे पर ही संघर्ष नहीं करना है, आर्थिक मोर्चे पर भी उनके सामने कई चुनौतियां है। मसलन कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया के किसी भी राजनेता का आने वाला भविष्य तय करेगा। और मोदी इसमें कोई अपवाद नहीं है। ये एक सूनामी की तरह है। इस सूनामी से निपटने के लिए किस नेता ने क्या किया, ये इतिहास में ज़रूर दर्ज होगा।

प्रधानमंत्री मोदी की ही तरह, उनके दूसरे मंत्रियों ने भी ट्विटर पर पोस्ट शेयर किए हैं, जिसमें कहा जा रहा है कि मोदी सरकार ने कोरोना पर काफ़ी अच्छा काम किया है। इस वजह से दुनिया के लीडरों की बीच मोदी की रैंकिंग बेहतर हैं।

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