फोकस भारत। राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां आज 24 अक्टूबर को 55 वां जन्मदिन मना रहा है। सतीष पूनियां आमेर विधानसभा से विधायक है। राजनीतिक विशलेषक कहते है कि सतीश पूनिया अगर 5 साल पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रहे थे अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सीएम चेहरा होंगे। राजनीतिक पंडित मानते है कि सतीश पूनिया की कार्यकुशलता, कुशल रणनितिकार के साथ सरल और सौम्यता और उनकी पहचान 36 कौम के नेता के रुप में होती है जो उनके लिए मिल का पत्थर साबित होगा।
ये जन्मदिन सतीश पूनिया के लिए विशेष है , क्योंकि एक तरफ जहां अध्यक्ष डॉ. पूनिया पहली बार पार्टी अध्यक्ष पर रहते हुये अपना जन्मदिन मना रहे हैं, तो दूसरी ओर उनके अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार हुये किसी भी तरह के बड़े चुनाव का परिणाम भी आ रहा है। राजस्थान में बीजेपी अध्यक्ष बनते ही पहले नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की रालोपा के साथ गठबंधन करना, और फिर नागौर की खींवसर व झुंझुनूं की मंड़ावा सीट पर 21 अक्टूबर को हुये उपचुनाव के लिये प्रचार करने के साथ ही बिखरे से दिख रहे संगठन को माला की तरह एक धागे में पिरोने के लिये प्रयासरत डॉ. पूनिया और भाजपा के लिये ये दिन खास है।
राजनीतिक विशलेषक मानते है कि राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष बनने के बाद डॉ. सतीश पूनिया ने जिस तरह से स्वागत के बहाने जिलाध्यक्षों और कार्यकर्ताओं से मिलने के लिये प्रदेशभर के दौरे किये हैं, उससे साफ है कि उनका लक्ष्य काफी बड़ा है और संगठन उनके परिवार का अभिन्न अंग है। सतीश पूनिया अपने 37 साल के राजनीतिक जीवन में कई अहम पदों पर रहे है। और सतीष पूनिया की छवि एक किसान परिवार से आने वाले सामान्य कार्यकर्ता के रुप में उन्हें व्यक्ति विशेष की पहचान देती है।
राजनीतिक पंडित मानते है कि अमूमन अध्यक्ष बनकर आराम करने और पार्टी में खुद को बड़ा करने का प्रयास करने वाले अन्य अध्यक्षों की छवि से इतर सतीश पूनिया ने एक दिन भी देरी किये बगैर जिस तरह से राज्य के कई जिलों का दौरा कर अपने कार्यकर्ताओं को सक्रियता का संदेश दिया है, वो पिछले करीब दो दशक में राजस्थान भाजपा के किसी भी अध्यक्ष के जहन में नही दिखाई दिया। गौरतलब है कि अध्यक्ष बनने की घोषणा होने और दशहरे के दिन पदभार ग्रहण करने के दिन तक डॉ. पूनिया ने बिना रुके जिस तरह से संगठन को मजबूती प्रदान करने और निष्क्रिय हो चुके जिलाध्यक्षों, ब्लॉक अध्यक्षों और दूसरे पदाधिकारियों से मिलकर उनको फिर से जनता में जाने का संदेश दिया, वो आने वाले वक्त में प्रदेश भाजपा के लिये शुभ संकेत साबित हो सकता है
राजनीतिक विशलेषक कहते है कि सतीष पूनिया ने पत्रकारों का सलाहकार मंडल भी बनाया है। जो अपने आप में ही खास है। ऐसा कदम उठाने वाले पूनियां बीजेपी के सूबे के युवा प्रदेश अध्यक्ष है। डॉ. सतीश पूनिया ने भी सोशल मीडिया को प्रचार के लिये मुख्य आधार बनाया है। यह माध्यम प्रदेश के युवा वोटर्स तक पहुंचने का सबसे सस्ता, सुगम और अच्छा माध्यम बन गया है। सोशल मीडिया पर भी सतीश पूनिया काफी एक्टिव नजर आ रहे है। प्रेषक मानते है कि ऐसे में संगठन में अपने लंबे अनुभव और संघ की पृष्ठभूमि का फायदा लेने का अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के पास स्वर्णिम अवसर है। अगले तीन साल के दौरान डॉ. पूनिया को एक ओर जहां संगठन को संघ के सांचे में ढालना है, वहीं कांग्रेस की तर्ज पर ‘एसी’ कल्चर में ढल चुके भाजपा के कई बड़े पदाधिकारियों और नेताओं को बदलने की भी गंभीर चुनौती उनके समक्ष है।